Chauhan Rajput History
रावल उदयसिंह चौहान, जालौर - हिन्दू धर्म, संस्कृति व सभ्यता के रक्षक - Rawal Udai Singh Chauhan Jalore
रावल उदयसिंह चौहान, जालौर
राजपूतों के चौहान वंश में अनेक राजपूत राजाओं ने जन्म लिया है, और भारत की संस्कृति, सभ्यता व हिंदू समाज को बाहरी आक्रमणकारियों से चौहानों ने रक्षा की हैं। ऐसे ही जालौर के चौहान राजवंश में रावल उदयसिंह एक ज्वलन्त नक्षत्र के समान राजा हुए। सूंधा पहाड़ के 1262 ई. के शिलालेख के अनुसार रावल उदयसिंह चौहान के राज्य में नाडोल, मण्डोर, जालौर, बाड़मेर, किराडू, राड़धड़ा, खेड़, रामसेन, रतनपुर, श्रीमाल, सांचौर और सूराचन्द नगर थे। रावल उदयसिंह चौहान ने मुहम्मद गौरी, कुतुबुद्दीन ऐबक तथा इल्तुतमिश जैसे मुस्लिम सुल्तानों द्वारा जीते गए सभी प्रदेश स्वतंत्र करवा लिए थे। इसी शिलालेख में रावल उदयसिंह चौहान को तुर्कों के गर्व को दलन करने वाला या तोड़ने वाला लिखा गया है।रावल उदयसिंह चौहान को दिल्ली के सुल्तानों से लगातार काफी संघर्ष करने पड़े। नाडोल और मण्डोर जीत लेने से मुस्लिम सुल्तान इल्तुतमिश ने जालौर पर चढ़ाई कर दी और सुन्दरा झील पर सुल्तान की सेना ने पड़ाव डाला। रावल उदयसिंह चौहान ने इस आक्रमणकारी और उसकी सेना को भारी नुकसान पहुंचाया। प्राचीन ग्रंथों व पुरातन प्रबंध संग्रह में लिखा है कि जिन मुसलमान आक्रमणकारियों ने सुन्दरा झील का पानी पीया था, वह पानी उदयसिंह चौहान ने उनकी बेगमों के आंसुओं से निकलवा लिए थे।
इसका बदला लेने के लिए दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने 1215 ई. में एक बड़ी सेना लेकर जालौर पर आक्रमण किया, परन्तु रावल उदयसिंह चौहान की शक्ति के आगे सुल्तान इल्तुतमिश को झुकना पड़ा और सुल्तान नाडोल व मण्डोर भी न जीत सका। सुल्तान इल्तुतमिश ने रावल उदयसिंह चौहान को 200 घोड़े व 200 ऊंट देकर उनसे सन्धि कर ली तथा साथ ही उदयसिंह को इस क्षेत्र का राजा भी स्वीकार कर लिया।
इसके पश्चात 1222 ई. में जब इल्तुतमिश नागदा मेवाड़ के बाद गुजरात पर चढ़ाई करने लगा तो रावल उदयसिंह चौहान ने मारवाड़ के सोम सिंह और आबू के धारावर्ष परमार और गुजरात के धोलका रियासत के वीरधवल वाघेला सोलंकी को साथ में ले लिया, अतः आक्रमणकारी सुल्तान इल्तुतमिश को तुरंत दिल्ली लौटना पड़ा। 1236 में इल्तुतमिश ने एक सेना भेजकर मण्डोर को जीत लिया, परंतु बहुत शीघ्र ही रावल उदयसिंह चौहान ने पुनः उसे अपने अधिकार में कर लिया।
इस प्रकार 1259 ई. में रावल उदयसिंह की मृत्यु हो गई। परंतु रावल उदयसिंह का जालौर राज्य समस्त उत्तर भारत में सबसे शक्तिशाली राज्य था और पूरे हिन्दू समाज को इस राज्य से बड़ी सुरक्षा प्राप्त थी। रावल उदयसिंह चौहान एक वीर योद्धा होने के साथ ही एक विद्वान राजा भी थे। रावल उदयसिंह तर्कशास्त्र, पराभौतिकी तथा महाभारत आदि के अच्छे ज्ञाता थे। रावल उदयसिंह के मंत्री यशोवीर सिंह भी सरस्वती के कण्ठ का हार कहा जाता था तथा वह विद्वान और आदर्श परामर्शदाता था।
भारत की रक्षा में रावल उदयसिंह का नेतृत्व सदा सराहनीय रहेगा। दिल्ली का सुल्तान इल्तुतमिश अपने पूरे राज्यकाल में उदयसिंह चौहान पर कोई भी विजय प्राप्त नहीं कर सका था, जिससे हिंदू राजपूत राजाओं के बल और शक्ति का परिचय मिलता है।
Reference (सन्दर्भ):-
1). पृष्ठ संख्या 174 सल्तनत काल में हिन्दू प्रतिरोध
2). Rajasthan Through the Ages 1st - Dr. Dashrath Sharma
3). राजपूतों की गौरवगाथा - राजेन्द्र सिंह राठौड़ बीदासर
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