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ठाकुर किशोरसिंह निर्बाण (चौहान) और उनके दो भाई - सिर कटने के बाद भी युद्ध लड़ने वाले राजपूत योद्धा
ठाकुर किशोरसिंह निर्बाण (चौहान) और उनके दो भाई - सिर कटने के बाद भी युद्ध लड़ने वाले राजपूत योद्धा
राव पिथोराज निर्बाण के वंशज पपूरणा के किशोरसिंह निर्बाण अपने काल के एक महान योद्धा थे। निर्बाण, चौहान राजपूत वंश की एक प्रमुख खांप यानि शाखा ही हैं। पपूरणा से बाहर कुछ सैनिकों तथा घोड़ों सहित "बन्धां की ढाणी" में किशोरसिंह निर्बाण रहने लगे थे। किशोरसिंह निर्बाण, खेतड़ी के शेखावत राजा से टक्कर लेते रहते थे। वह जब चाहते तब खेतड़ी पर चढ़ाई कर देते और खेतड़ी के बाजार में जाकर "किशोरसिंह निर्बाण की जय", खेतड़ी के लोगों से बुलवा कर आ जाते। किशोरसिंह के इस प्रकार के व्यवहार से खेतड़ी के शेखावत राजा को बहुत लज्जित होना पड़ता था। अन्त में खेतड़ी के शेखावत राजा ने अपनी सेना लेकर किशोरसिंह निर्बाण पर आक्रमण कर दिया, अचानक ही खेतड़ी राजा ने सेना सहित किशोरसिंह निर्बाण की हवेली को आ घेरा। फिर अपनी हवेली से किशोरसिंह और उनके दो भाई निकले और अन्य सैनिकों व घुड़सवारों सहित तीनों भाईयों ने खेतड़ी की सेना का डटकर सामना किया।
किशोरसिंह निर्बाण और उनके दो भाई भयंकर युद्ध कर रहे थे। तीनों भाईयों ने सैंकड़ों दुश्मनों को खत्म कर दिया था। युद्ध करते-करते तीनों भाईयों का सिर कट गया, परंतु सिर कटने के बाद भी तीनों भाई बराबर तलवार चलाते हुए आगे बढ़ कर दुश्मनों को समाप्त कर रहे थे। युद्ध अब समाप्ति की कगार पर था, क्योंकि सुर्यास्त होने वाला था, ज्योहीं सुर्यास्त हुआ, तीनों भाईयों का धड़ अलग-अलग स्थानों पर गिरकर शांत हुआ और वीरगति प्राप्त की। खेतड़ी के राजा को इस युद्ध में भारी जान और माल का नुक़सान उठाना पड़ा था। खेतड़ी में नीम का थाना जाने वाली सड़क पर पपूरणा से डेढ़ मील खेतड़ी की ओर बन्धां की ढाणी में आज भी किशोरसिंह निर्बाण और उनके दो भाई आज भी भोमियाजी के रूप में पूजित है और तीनों जूंझारों के चबूतरे बने हुए हैं। एक चबूतरा सड़क के किनारे, एक कुंए के पास दक्षिण-पूर्व में और तीसरा कुंए के उत्तर पश्चिम में बना हुआ है, और जनमानस में आज भी इनके प्रति बहुत श्रद्धा है। यह घटना लगभग 1887 के लगभग की है।
Reference (सन्दर्भ):-1. चौहानों का बृहद इतिहास 2. निर्बाणवंश प्रकाश- ठा. देवीसिंह निर्बाण, पपूरणा, पृ. 148-1493. राव देवीसिंह निर्बाण चौहान (पपूरणा) पृ.122
✍️✍️(Instagram) @kartabbanka_rifles (दैवेन्द्र सिंह गौड़)✍️✍️
किशोरसिंह निर्बाण और उनके दो भाई भयंकर युद्ध कर रहे थे। तीनों भाईयों ने सैंकड़ों दुश्मनों को खत्म कर दिया था। युद्ध करते-करते तीनों भाईयों का सिर कट गया, परंतु सिर कटने के बाद भी तीनों भाई बराबर तलवार चलाते हुए आगे बढ़ कर दुश्मनों को समाप्त कर रहे थे। युद्ध अब समाप्ति की कगार पर था, क्योंकि सुर्यास्त होने वाला था, ज्योहीं सुर्यास्त हुआ, तीनों भाईयों का धड़ अलग-अलग स्थानों पर गिरकर शांत हुआ और वीरगति प्राप्त की। खेतड़ी के राजा को इस युद्ध में भारी जान और माल का नुक़सान उठाना पड़ा था। खेतड़ी में नीम का थाना जाने वाली सड़क पर पपूरणा से डेढ़ मील खेतड़ी की ओर बन्धां की ढाणी में आज भी किशोरसिंह निर्बाण और उनके दो भाई आज भी भोमियाजी के रूप में पूजित है और तीनों जूंझारों के चबूतरे बने हुए हैं। एक चबूतरा सड़क के किनारे, एक कुंए के पास दक्षिण-पूर्व में और तीसरा कुंए के उत्तर पश्चिम में बना हुआ है, और जनमानस में आज भी इनके प्रति बहुत श्रद्धा है। यह घटना लगभग 1887 के लगभग की है।
Reference (सन्दर्भ):-1. चौहानों का बृहद इतिहास 2. निर्बाणवंश प्रकाश- ठा. देवीसिंह निर्बाण, पपूरणा, पृ. 148-1493. राव देवीसिंह निर्बाण चौहान (पपूरणा) पृ.122
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Sat sat naman
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