अलीपुरा के प्रतिहार - Pratihar of Alipura

Pratihar of Alipura, अलीपुरा के प्रतिहार
Pratihar of Alipura

 अलीपुरा के प्रतिहार


ग्वालियर के राजा महीमच्छदेव के छोटे पुत्र जुझारदेव प्रतिहार हुए। जुझारदेव प्रतिहार जुझौति प्रदेश के संस्थापक थे तथा इनके पास में मऊ सुहानिया व सरसेढ़ की जागीर थी , इनके छोटे पुत्र धागचन्द्र हुए। धागचन्द्र को बड़ागांव की जागीर मिली थी, इनके वंशज गरीबदास प्रतिहार छत्रसाल बुंदेला की सेना में थे। गरीबदास प्रतिहार के पुत्र अचलसिंह प्रतिहार अपनी प्रतिभा के बल से पन्ना रियासत के राजा हिन्दूपति के दीवान बन गए। अचलसिंह की सुयोग्य कार्य सेवा से प्रसन्न होकर राजा हिन्दूपति ने अचलसिंह को विक्रम संवत 1814 में अलीपुरा की जागीर प्रदान की थी। अचलसिंह के बाद उनका इकलौता पुत्र दीवान प्रतापसिंह प्रतिहार अलीपुरा के राजा हुए। जब नवाब अली बहादुर ने बुंदेलखंड पर अधिकार किया तब प्रतापसिंह ने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली, अतः जागीर उनके पास रहीं। जब अंग्रेज सरकार आई तब प्रतापसिंह अंग्रेजों के अधीन हो गये तो अंग्रेज सरकार ने भी अलीपुरा का राज्य उनके पास ही रहने दिया। प्रतापसिंह के बाद पंचमसिंह अलीपुरा के राजा हुए, इनकी मृत्यु 1896 ई. में हुई थी‌। पंचमसिंह प्रतिहार के बाद में क्रमशः दौलतसिंह, हिन्दूपति, छत्रपति और हरपाल सिंह अलीपुरा के राजा हुए। भारत की आजादी तक यह राज्य प्रतिहारों का बना रहा।

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