सुजानसिंह शेखावत ठिकाना छापोली - Sujan Singh Shekhawat History

Sujan Singh Shekhawat History
Sujan Singh Shekhawat Thikana Chapoli

सुजानसिंह शेखावत ठिकाना छापोली

Sujan Singh Shekhawat History

सुजानसिंह शेखावत राजा रायसाल के दूसरे पुत्र भोजराज के वंशज थे और यह छापोली ठिकाने के अधिपति थे। क्रुर सम्राट औरंगजेब ने अपने सेनापति दाराबखां को खण्डेला राज्य से जजिया कर इकट्ठा करने और वहां के सभी मंदिरों को तोड़ने के लिए तीस हजार सैनिकों की विशाल सेना देकर भेजा। खण्डेला पहुंचकर दाराबखां और उसकी सेना ने मंदिरों को तोड़ना शुरू कर दिया। इस समय सुजानसिंह शेखावत मारवाड़ की सीमा मे विवाह करने के लिए गए हुए थे और विवाह कर अपने ठिकाने छापोली पहुंच रहे थे, तभी रास्ते में उनको सूचना मिली की खण्डेला के मोहनदेवजी के मंदिर को तोड़ने के लिए मुसलमानों की जबरदस्त सेना ने आक्रमण कर दिया है तभी सुजानसिंह शेखावत ने प्रण किया कि मैं मोहनदेवजी के मंदिर की ही नहीं बल्कि खण्डेला के समस्त मंदिरों की रक्षा करूंगा, यदि ऐसा ना कर पाऊं तो अपने प्राण न्यौछावर कर दूंगा। सुजानसिंह शेखावत अपने तीन सौ शेखावत वीर योद्धाओं के साथ मंदिर की रक्षा करने निकल पड़े। सुजानसिंह की छोटी सी टुकड़ी के सामने शत्रुओं की तीस हजार सैनिकों की विशाल सेना थी। राजपूतों की विजय की कोई संभावना थी ही नहीं परंतु राजपूत वीरों ने अपने धर्म, सम्मान व मंदिरों की रक्षा करना ही श्रेष्ठ समझा। इसके बाद मुगल सेना ने मंदिर और शेखावत योद्धाओं पर धावा बोल दिया इसके जवाब में राजपूत सेना ने बड़े ही तीव्रगति से शत्रुओं पर वार किया। सुजानसिंह शेखावत ने अपनी तलवार का ऐसा जौहर दिखाया कि मुगल सेना में हड़कंप मच गई और एक बार तो मुगल सेना पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। दुश्मनों के छक्के छुड़ाते हुए और युद्ध करते हुए सुजानसिंह शेखावत का सर कट गया, परंतु वह शेखावत योद्धा बिना सिर के तलवार लेकर शत्रुओं से भयंकर युद्ध करता रहा और सैंकड़ो दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया। जब तक शेखावत वीरों की तलवारें चल रही थी तब तक मुगल सेना मंदिर का एक पत्थर भी नहीं गिरा सकी‌। अंत में नील के छींटे देने पर सुजानसिंह शेखावत का धड़ शांत हुआ और सुजानसिंह की धर्मपत्नी अपने वीर पति का कटा सिर गोद में रखकर सती हो गई। इस प्रकार सुजानसिंह शेखावत ने अपने वंश के गौरव को बढ़ाकर अपना नाम इतिहास में अमर कर लिया।


 

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