Chauhan
वीर कान्हा चौहान, बदनौर, मेवाड़
वीर कान्हा चौहान, बदनौर, मेवाड़
वीर कान्हा चौहान, बदनौर, मेवाड़ (1520ई.) मेवाड़ के महाराणा सांगा के पास डूंगर सिंह चौहान बालावत रहता था, यह बहुत पराक्रमी योद्धा था और वागड़ प्रदेश का निवासी था। वागड़ प्रदेश के होने के कारण इनको बागडिया चौहान कहा जाने लगा। महाराणा सांगा ने डूंगर सिंह चौहान की वीरता से प्रभावित होकर इनको बहुत सम्मान देकर और बड़ी जागीर बदनौर की दी थी। बदनौर ठिकाने में डूंगर सिंह चौहान ने बड़े-बड़े तालाब, बावड़ियां और राजमहल बनवाए थे। जब महाराणा सांगा ने गुजरात के शासक मुजफ्फर शाह पर धावा किया तो डूंगर सिंह चौहान सेना के साथ में ही थे। इस अभियान में जब महाराणा ईडर पहुंचे थे, तो वहां के हाकिम मलिक हुसैन जो निजामुल्मुल्क कहलाता था, वहां से भागकर अहमद नगर जा पहुंचा। इसलिए महाराणा ने अहमद नगर को जा घेरा। अहमद नगर में जो युद्ध हुआ उसमें डूंगर सिंह चौहान वीरतापूर्वक लड़ते हुए घायल हो गए और उसके कई भाई-बेटे वीरगति को प्राप्त हुए।
डूंगर सिंह चौहान का ही एक पुत्र कान्हा चौहान भी इस युद्ध में साथ था। अहमदनगर के किले के किवाड़ लोहे के थे और उन पर लोहे के भाले लगे थे। किवाड़ को तपा कर गर्म कर दिया गया था, इसलिए हाथी उनको टक्कर मारकर तोड़ नहीं सकता था। इस कारण कान्हा चौहान ने वीरता का कार्य किया और वह किवाड़ों पर लगें भालों के आगे चढ़ गया और उसने महावत से कहा कि हाथी को अब मेरे शरीर पर टक्कर दिलाओ।
तब हाथी ने कान्हा चौहान पर टक्कर मारी जिससे उसका शरीर भालों से छिद गया, परन्तु किले का किवाड़ टूट गया। किवाड़ टूटते ही राजपूतों ने किले में घुसकर मुस्लिम शत्रु सेना को काट डाला, परन्तु निजामुल्मुल्क पीछे के द्वार से भाग गया और नदी के दूसरे किनारे जाकर लड़ने के लिए तैयार हुआ परन्तु महाराणा के आगे वह ठहर नहीं सका और भाग कर अहमदाबाद चला गया।
Reference (संदर्भ) :-
1). नैणसी री ख्यात
Chauhan
Chauhan History
Chohan
Chouhan
History of Chauhans
Mewar History
Rajput history
Rajputana
चौहान वंश का इतिहास शाखायें ठिकाने
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वीर कान्हा चौहान
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