Chavda Kshatriya History
चावड़ा क्षत्रिय राजपूतों का संपूर्ण इतिहास - Chavda Kshatriya Rajput History
चावड़ा क्षत्रिय राजपूतों का संपूर्ण इतिहास - Chavda Kshatriya Rajput History
चावोटक धरणीवराह के विक्रमी संवत् 901 के दानपत्र में लिखा है कि भगवान शंकर ने पृथ्वी की रक्षा के लिए अपनी चाप(धनुष) से योग्य पुरुष उत्पन्न किया जो चाप कहलाया, इसी चाप के वंशज चापरा या चावड़ा कहलाए। इस दानपत्र की भाषा चमत्कारिक है, जिसका अर्थ यह है कि कोई चाप नामक क्षत्रिय था, जो शिव का प्रचंड भक्त और तेज धनुर्धारी था, इसी चाप क्षत्रिय के वंशज चापरा, चावरा, चावड़ा कहलाए।
अब चावड़ा क्षत्रियों का प्राचीन क्षत्रियों से क्या संबंध है तथा यह चंद्रवंशी कैसे हैं, आइये जानते हैं । शिलालेख और ताम्रपत्रों में चावड़ा राजपूत, परमारों की खांप (शाखा) मानी जाती है। एक छप्पय भी इस बात की पुष्टि करता है:-
प्रथम चाल चण्डेल, शब्दगण सेष सुणायो ।
अरबद दीधी आण, होम अतर देश आयो ।।
परवरियों परमार बास भिनमाल बसायो ।
नवकोट कर नेत्र खेत्र जागणो खसायो ।।
भोगवे भोग शत्रुत्रणा, रणायत तण राखियों रंग ।
वररा कंवरे वासियो, अणहलपुर दुरंग ।।
चावड़ों के प्रमुख भीनमाल, राजस्थान में राज्य था, और अणहिलवाड़ा, गुजरात में राज्य था। गुजरात में आज भी काफी चावड़ा राजपूत निवास करते हैं। राजस्थान व मध्यप्रदेश में काफी स्थानों पर चावड़ा राजपूत हैं। इनके अलावा अणहिलवाड़ा गुजरात के प्रसिद्ध राजा वनराज चावड़ा के वंशज उत्तरप्रदेश में खीरी, हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी आदि स्थानों पर निवास करते हैं, और यह अहवान चावड़ा बोले जाते हैं। अहवान चावड़ों की कुवरअहवान, अहवान खास व होलचा शाखाएं हैं। होलचा चावड़ा मारवाड़ में भी निवास करते हैं। गुजरात में मणासा, बरसोड़ा, महीकांठा, भीलोड़िया, रामपुरा, रेवीकांठटा, आकड़िया चावड़ा राजपूतों के ठिकाने हैं, इसके अलावा मेवाड़ (राजस्थान) में कलवड़वास चावड़ों का ठिकाना था।
यह वीडियो भी जरूर देखें हुकुम 🙏🙏


Post a Comment
0 Comments