वीर कल्याणदास राठौड़, सिवाणा, मारवाड़ (1584ई.)


 वीर कल्याणदास राठौड़, सिवाणा, मारवाड़ (1584ई.)


मारवाड़ के राव चन्द्रसेन के पुत्र रायमल और उनके पुत्र कल्याणदास ने अकबर जैसे शक्तिशाली शासक को भारत की स्वतंत्रता, भारतीय लोगों का मनोबल और आत्म गौरव का अद्भुत परिचय कराया था। कल्याणदास राठौड़ जैसे अभयधारियों ने ही भावी शताब्दियों में स्वतंत्रता आन्दोलन का पूर्वाभ्यास किया था।

अकबर ने कुछ चित्रकारों को राजस्थान भेजा था, जिससे कि वह सुन्दर राजकन्याओं की जानकारी पा सके। चित्रकारों ने आकर कल्याणदास राठौड़ की राजकन्याओं के चित्र दिखाए। इस पर अकबर ने राजा उदयसिंह, जोधपुर से कल्याणदास की कन्याओं का विवाह शहजादे से करने का प्रस्ताव रखा।

जोधपुर नरेश उदयसिंह राठौड़ ने साफ-साफ कह दिया कि कल्याणदास मेरे कहने में नहीं है, अतः अकबर ने बाला भोपत के पुत्र को एक मुसलमान खान के साथ बातचीत करने सिवाणे भेजा। कल्याणदास जी ने कहा कि वह अकबर से स्वयं बात करेंगे। अतः दिल्ली आने-जाने का खर्च अकबर ने 10 हजार कल्याणदास जी को भेज दिया। 

बादशाह से मिलकर कल्याणदास राठौड़ ने विवाह की तैयारी हेतु 10 लाख रुपए लिए तथा शहजादे ने 4 लाख रुपए व एक घोड़ा दिया। 

यह धन प्राप्त करके कल्याणदास राठौड़ ने सिवाणै के दुर्ग को मजबूत करके सेना तैयार कर ली। समय आने पर शहजादे की बारात सिवाणे के पास देवलीयाली गांव में आकर रूकी‌। वहां कल्याणदास राठौड़ ने सुंदर जुतियों का जोड़ा भिजवा दिया और कहा का वधु की जगह तो यह जुतियां ही तुम्हें मिलेगी।

शहजादा यह सब सुनकर क्रोधित हो गया और दिल्ली से कई हजार सेना मंगाई और दुर्ग का घेरा डाल दिया। कई महिनों तक घेरा पड़ा रहा, तब एक नाई वालिया ने दुर्ग का भेद देकर रात को सीढ़ियों द्वारा 200-400 शत्रुओं को भीतर चढ़ा दिया।

युद्ध होते ही एक गोली कल्याणदास राठौड़ के लगी, परंतु वह वीर रणंबका राजपूत योद्धा गिरे नहीं और युद्ध लड़ते रहे और शत्रु सेना को मौत के घाट उतारते रहे। ऐसा कहा जाता है कि अन्त में उस वीर कल्याणदास राठौड़ के सम्मान में पृथ्वी फट गई और वे उसी में समां गए।

वैशाख सुदी 13 के दिन दुर्ग शत्रुओं के हाथ में चला गया। मुगलों के 1200 सैनिक मारे गए। इसके पश्चात मुग़लों ने नाई वालिया को विश्वासघात का दण्ड उसकी हत्या करके दिया।

यह घटना अकबर द्वारा भारतीय राजपुरूषों के आत्म सम्मान और गौरव को तोड़ने के असफल प्रयास का उदाहरण प्रस्तुत करती है। कल्याणदास राठौड़ जैसे लोगों के दम पर ही भारत अपनी अस्मिता को बचा सका।

धन्य है ऐसे वीर जिन्होंने इस वीर भारत भूमि पर जन्म लिया।

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